
संजय सोंधी, उपसचिव, भूमि एवं भवन विभाग, दिल्ली सरकार
21 अप्रैल, 2025 को भारत में नागरिक सेवा दिवस मनाया जाएगा, जो देश की प्रशासनिक रीढ़ कहे जाने वाले सिविल सेवकों के योगदान को सम्मानित करने का अवसर है। यह दिन न केवल उनकी उपलब्धियों को सराहने का है, बल्कि बदलते समय के साथ नागरिक सेवाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनमें सुधार की आवश्यकता पर विचार करने का भी है। आज के युग में, जब देश तेजी से बदल रहा है और नागरिकों की अपेक्षाएँ बढ़ रही हैं, नागरिक सेवाओं को अधिक गतिशील, जन-केंद्रित और परिणाम-उन्मुख होने की जरूरत है। इस लेख में हम समकालीन समय में नागरिक सेवाओं के महत्व और उनसे जुड़ी प्रमुख चुनौतियों पर चर्चा करेंगे।
**नागरिक सेवाओं का महत्व**
नागरिक सेवाएँ देश के विकास, नीति निर्माण और सेवा वितरण की रीढ़ हैं। ये सिविल सेवक सरकार और जनता के बीच एक सेतु का काम करते हैं, जो नीतियों को लागू करने और सामाजिक-आर्थिक विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा हो या आपदा प्रबंधन, सिविल सेवकों की कुशलता और समर्पण देश की प्रगति को निर्धारित करते हैं। नागरिक सेवा दिवस हमें उनके योगदान को पहचानने और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को समझने का अवसर देता है।
**समकालीन समय में चुनौतियाँ और सुधार की आवश्यकता**
1. **प्रशासनिक दृष्टिकोण से प्रबंधकीय और जन-केंद्रित दृष्टिकोण की ओर**
पारंपरिक रूप से, नागरिक सेवाएँ नियम-केंद्रित और प्रशासनिक दृष्टिकोण पर आधारित रही हैं। हालांकि, आज के समय में जनता की अपेक्षाएँ और जटिल सामाजिक-आर्थिक चुनौतियाँ एक प्रबंधकीय और जन-केंद्रित दृष्टिकोण की मांग करती हैं। सिविल सेवकों को केवल नियमों का पालन करने वाला प्रशासक नहीं, बल्कि एक कुशल प्रबंधक और समस्या समाधानकर्ता होना चाहिए, जो नागरिकों की जरूरतों को प्राथमिकता दे। उदाहरण के लिए, किसी योजना के कार्यान्वयन में केवल कागजी प्रक्रिया पूरी करना पर्याप्त नहीं है; यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि उसका लाभ अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे। इसके लिए सहानुभूति, संचार कौशल और नवाचार की आवश्यकता है।
2. **नए कौशल और पेशेवर उन्नयन की आवश्यकता**
डिजिटल युग, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, डेटा विश्लेषण और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे क्षेत्रों ने प्रशासन के तौर-तरीकों को बदल दिया है। सिविल सेवकों को इन क्षेत्रों में नवीनतम कौशल हासिल करने की जरूरत है। पेशेवर उन्नयन और नए कौशल का अधिग्रहण अब करियर प्रगति का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम, अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ सहयोग और प्रौद्योगिकी आधारित शिक्षण मॉड्यूल इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, स्मार्ट सिटी परियोजनाओं को लागू करने के लिए डेटा प्रबंधन और शहरी नियोजन में विशेषज्ञता जरूरी है।
3. **परिणाम-आधारित और दक्षता-केंद्रित पदोन्नति नीति**
वर्तमान में, सिविल सेवाओं में पदोन्नति मुख्य रूप से समयबद्ध होती है, जो अनुभव को प्राथमिकता देती है। हालांकि, यह प्रणाली हमेशा दक्षता और परिणामों को प्रोत्साहित नहीं करती। अब समय आ गया है कि पदोन्नति नीति को परिणाम मूल्यांकन और सिविल सेवक की दक्षता के आधार पर तैयार किया जाए। उदाहरण के लिए, यदि कोई अधिकारी किसी क्षेत्र में शिक्षा या स्वास्थ्य सेवाओं में उल्लेखनीय सुधार लाता है, तो उसे समय से पहले पदोन्नति का अवसर मिलना चाहिए। इससे न केवल उत्कृष्टता को प्रोत्साहन मिलेगा, बल्कि यह सिविल सेवकों को और अधिक जवाबदेह बनाएगा।
4. **लैटरल एंट्री और आंतरिक अवसरों का समावेश**
उच्च पदों पर विशेषज्ञता लाने के लिए लैटरल एंट्री एक स्वागत योग्य कदम है। निजी क्षेत्र, शिक्षाविदों या अन्य क्षेत्रों से आए विशेषज्ञ नीति निर्माण और कार्यान्वयन में नए दृष्टिकोण ला सकते हैं। हालांकि, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि लैटरल एंट्री के साथ-साथ उसी कैडर के जूनियर अधिकारियों को भी उच्च पदों के लिए विचार किया जाए। इससे न केवल संगठन के भीतर प्रतिभा का उपयोग होगा, बल्कि सिविल सेवकों के बीच प्रेरणा और विश्वास भी बढ़ेगा। लैटरल एंट्री को नियमित और पारदर्शी प्रक्रिया के रूप में अपनाना चाहिए, ताकि यह सिविल सेवाओं की गुणवत्ता को और बेहतर बनाए।
**निष्कर्ष**
नागरिक सेवा दिवस 2025 हमें यह याद दिलाता है कि सिविल सेवाएँ देश की प्रगति का आधार हैं, लेकिन बदलते समय के साथ इनमें सुधार और नवाचार की आवश्यकता है। जन-केंद्रित दृष्टिकोण, नए कौशल का अधिग्रहण, परिणाम-आधारित पदोन्नति और लैटरल एंट्री जैसे कदम सिविल सेवाओं को अधिक प्रभावी और गतिशील बना सकते हैं। यह समय है कि हम सिविल सेवकों के योगदान को न केवल सराहें, बल्कि उन्हें भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार भी करें। एक कुशल, नवाचार-प्रधान और जवाबदेह नागरिक सेवा ही नए भारत के सपने को साकार कर सकती है।
लेखक के विचार में नागरिक सेवा दिवस केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि आत्ममंथन और सुधार का अवसर है। आइए, हम सब मिलकर ऐसी नागरिक सेवाएँ बनाएँ जो जनता की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करें और देश को प्रगति के पथ पर ले जाएँ।
(इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने विचार हैं)
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